अमेरिका के दबाव के चलते कतर ने हमास के कई अधिकारियों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। यह कदम इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में कतर की मध्यस्थता के बावजूद लिया गया, खासकर जब हाल ही में एक युद्धविराम समझौता विफल हुआ। अमेरिका ने हमास नेताओं पर पहले से ही प्रतिबंध लगा रखा है और अब कतर को चेतावनी दी थी कि अगर युद्धविराम प्रयास विफल रहता है, तो इन नेताओं को देश छोड़ने के लिए कहा जाए |
अमेरिका के दबाव में कतर ने हाल ही में हमास के कई प्रमुख अधिकारियों को देश छोड़ने का निर्देश दिया है। इस कदम का कारण इजरायल और हमास के बीच जारी युद्धविराम प्रयासों की असफलता है, जिसके लिए अमेरिका ने हमास को जिम्मेदार ठहराया है। कतर, जो हमास और इजरायल के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभा रहा था, अब अमेरिकी अल्टीमेटम का पालन कर रहा है। इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ने की संभावना है।
कतर और हमास के संबंधों की कहानी गहरी और जटिल है। 2011 में “अरब स्प्रिंग” के दौरान, कई देशों में अस्थिरता बढ़ने पर कतर ने हमास के नेताओं को शरण दी। कतर ने तब से हमास के साथ संबंध बनाए रखा और उनकी आर्थिक सहायता भी की। कतर मध्य पूर्व में अमेरिका के करीबी सहयोगी भी है, लेकिन हमास को लेकर उसकी नीति पर अमेरिका ने कई बार सवाल उठाए हैं। हाल में, युद्धविराम प्रयास विफल होने पर अमेरिका ने कतर पर दबाव डाला कि वह हमास के नेताओं को देश छोड़ने का आदेश दे।
इस द्वंद्व में कतर की भूमिका की चर्चा महत्वपूर्ण है क्योंकि वह एक ओर हमास के साथ संबंध बनाए हुए है, और दूसरी ओर क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान देने का प्रयास कर रहा है।
कतर और हमास के संबंधों की कहानी:-
कतर और हमास के संबंधों की कहानी में कई परतें हैं। 2012 में, जब सीरिया में अस्थिरता बढ़ी, तो कई हमास नेता सीरिया छोड़कर कतर चले गए। कतर ने उन्हें राजनीतिक शरण और आर्थिक सहयोग दिया। इसका एक कारण यह था कि कतर ने लंबे समय से फिलिस्तीन का समर्थन किया है, और हमास को इस संघर्ष में एक प्रमुख संगठन माना जाता है। इस बीच, अमेरिका ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित किया और कतर के इस समर्थन को लेकर कड़ी आलोचना की।
हालांकि, कतर मध्यस्थता के लिए हमास और इजरायल दोनों से संबंध बनाए रखने में सफल रहा। इस भूमिका के चलते कतर कई बार संघर्षविराम में मध्यस्थता के लिए आगे आया है। लेकिन 2023 में इजरायल-हमास संघर्ष के बढ़ने और युद्धविराम प्रयासों की विफलता के बाद अमेरिका ने कतर पर दबाव डाला कि वह हमास के नेताओं को अपने देश से बाहर निकाले। इससे कतर पर एक कठिनाई खड़ी हो गई है, क्योंकि उसे अपनी कूटनीतिक संतुलन बनाए रखना है।
इस मामले ने दिखाया कि कतर की भूमिका और मध्य पूर्व में उसकी नीति कितनी जटिल है।