Solar eclipse : सूर्यग्रहण (खगोलीय घटना क्रम) शौर्य मंडल का अद्भुत रहस्य I
क्याआपको पता है कभी -कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
यह घटना हमेशा अमावस्या को ही होती है।
8 अप्रैल को होने वाला पूर्ण सूर्य ग्रहण साल की सबसे बड़ी खगोलीय घटना में से एक होगी।
यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका से होते हुए मेक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में प्रवेश करेगा।
उत्साह के बावजूद, यह ध्यान देने योग्य बात है कि भारत के लोग इस विशेष ग्रहण को नहीं देख पाएंगे।
सूर्य ग्रहण संभवतः हर 18 महीने में होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है, जिससे सूर्य का प्रकाश क्षण भर के लिए अवरुद्ध हो जाता है। इस खगोलीय घटना को देखने के लिए भूमि पर एक स्थान खोजने में लगे है ,
क्योंकि हमारे ग्रह का 70 प्रतिशत से अधिक भाग महासागरों से ढका हुआ है। ऐसे स्थान पर रहना जहां सूर्य ग्रहण हो रहा हो, और भी असामान्य है,
How often does a total solar eclipse happen : पूर्ण सूर्य ग्रहण कितनी बार होता है?
जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है, तो इसकी छाया पृथ्वी पर पड़ती है,जिससे “समग्रता का पथ” बनता है।यह पथ एक संकीर्ण पट्टी के जैसा होता है जो सतह के पार चलती है। इस बैंड के अंदर खड़े सभी लोग पूर्ण सूर्य ग्रहण को देख सकते हैं, अगर मौषम एवं बादल साथ दें तब । 8 अप्रैल, 2024 को ग्रहण बैंड 115 मील चौड़ा होने की उम्मीद है।
नासा के कथन अनुसार, “एक ही स्थान पर दो पूर्ण ग्रहणों की उपस्थिति के बीच का अन्लतराल गभग 375 वर्ष का समय लगता है। लेकिन कभी-कभी यह अंतराल बहुत लंबा भी हो सकता है!”